#सतगुरु सम कोई नहीं
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#सतगुरु सम कोई नहीं#सात दीप नौ खण्ड।तीन लोक न पाइये#अरु इक्कीस ब्रह्म्ण्ड॥म��रे गुरुदेव भगवान 🙏🙏🙇_🌺!! सतगुरू देव जी क
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GodMorningThrusday
सतगुरु सम कोई नहीं,
सात दीप नौ खण्ड।
तीन लोक न पाइये,
अरु इक्कीस ब्रह्मण्ड।।
इस संसार में सतगुरु के समान कोई नहीं है। सातों दीप,नौ खंडों,तीनों लोकों और इक्कीस ब्रह्माण्डों में भी सतगुरु के समान दूसरा कोई नहीं है,अर्थात सतगुरु की महिमा सर्वोपरि है।
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Sadhna TV Satsang || 04-11-2024 || Episode: 3076 || Sant Rampal Ji Mahar...
*🌺बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌺*
♦♦♦
02/11/24
#GodNightMonday
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#पूर्णगुरु_की_पहचान
Complete Guru Sant Rampalji
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*🍀*
1🪕पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
2🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
3🪕तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
4🪕सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देत��� हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
5🪕सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
6🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
7🪕 पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
8🪕पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
9🪕पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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[04/11, 7:22 am] +91 83078 98929: तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
#पूर्णगुरु_की_पहचान
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[04/11, 7:22 am] +91 83078 98929: पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
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[04/11, 7:22 am] +91 83078 98929: पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
#पूर्णगुरु_की_पहचान
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
#पूर्णगुरु_की_पहचान
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[04/11, 7:23 am] +91 83078 98929: पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
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*🧿बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🧿*
03/11/24
*💫Twitter Trending सेवा💫*
*🍀मालिक की दया से पूर्ण गुरु की पहचान बताते हुए Twitter पर सेवा करनी है।*
⛳लोगों को बताना है कि आज के समय में पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
*टैग और कीवर्ड⤵️*
#पूर्णगुरु_की_पहचान
Complete Guru Sant Rampalji
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/complete-guru-hindi/
https://www.satsaheb.org/complete-guru-english/
*⛳ Sewa Points* ⤵
🪕पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
🪕तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
🪕सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
🪕सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
🪕 पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
🪕पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
🪕पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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#####पूर्ण गुरु की पहचान#####
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड।
तीन लोक न पाइये, अरु इक्कीस ब्रह्मण्ड ||
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#Great_Prophecies_2024
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सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड।
तीन लोक न पाइये, अरु इक्कीस ब्रह्मण्ड ||
#GodMorningWednesday
#Mysterious_Prophecies
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सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खण्ड।
तीन लोक न पाइये, अरु इक्कीस ब्रह्मण्ड ||
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Shraddha TV Satsang 04-11-2024 || Episode: 2734 || Sant Rampal Ji Mahara...
*🌺बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌺*
♦♦♦
02/11/24
#GodMorningMonday
#MondayMotivation
#mondaythoughts
#पूर्णगुरु_की_पहचान
Complete Guru Sant Rampalji
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*🍀*
1🪕पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
2🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
3🪕तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
4🪕सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
5🪕सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
6🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
7🪕 पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
8🪕पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
9🪕पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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#AlmightyGodKabir
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर
सतगुरु सम कोई नहीं, सात दीप नौ खखण्ड। तीन लोक न पाइये, अरु इक्कीस ब्रह्मण्ड ||
Kindly visit
(SANT RAMPAL JI MAHARAJ )Youtube Channel for more information about way of worship.
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[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
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दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
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परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
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[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
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सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
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संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
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कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
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पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
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सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
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ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए।
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[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
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[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
Complete Guru Sant Rampalji
[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है।
Complete Guru Sant Rampalji
[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है।
Complete Guru Sant Rampalji
[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
Complete Guru Sant Rampalji
[03/11, 7:02 am] +91 83078 98929: #पूर्णगुरु_की_पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
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*🧿बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🧿*
03/11/24
*💫Twitter Trending सेवा💫*
*🍀मालिक की दया से पूर्ण गुरु की पहचान बताते हुए Twitter पर सेवा करनी है।*
⛳लोगों को बताना है कि आज के समय में पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
*टैग और कीवर्ड⤵️*
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📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/complete-guru-hindi/
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*⛳ Sewa Points* ⤵
🪕पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
🪕तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अर्थात ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूप वृक्ष को जो इसे विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
🪕सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
🪕सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
🪕 पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
🪕 पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
🪕पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
🪕पूर्ण गुरु की पहचान
आदरणीय संत गरीबदास जी ने पूर्ण संत (सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है:
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
अर्थात् जो सतगुरु होगा वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्���ान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, चीड़ी चौंच भर ले गई, नदी न घट्यो नीर।
दान दिए धन नहीं घटै, कह रहे संत कबीर।।
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